Saturday, March 15, 2025
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गिरनार एक जिन्दा पवित्र पर्वत,महाशिवरात्रि-जूनागढ़ | Mahashivratri -Junagadh

MahaShivratri :-महाशिवरात्रिगिरनार एक जिन्दा पवित्र पर्वत|गिरनार आध्यात्मिक क्षेत्र का पवित्र पर्वत माना जाता है।यहाँ हजारो साधु ,संत,सन्यासी.
योगी,अधोरी,नागाबाबा,महात्मा,तांत्रिक,ध्यानी और तपस्वी यहाँ परंमात्मा की साधना करते है।
 
गिरनार-हिमालय में तप साधना करने वाले सभी महात्मा को शिवरात्रि का महत्व अधिक है। गिरनार में ऐसे संत,महात्मा है जो कभी भी बहार नहीं आते। लेकिन सिर्फ शिवरात्रि के दिन शाहीस्नान करने बहार आते है।
 
शिवरात्रि के दिन गिरनार में सभी साधु समाज रात को 12 बजे साहिसवारी में निकालते है – साहिसवारी यानि साधु समाज की रैली। महाशिवरात्रि शाहिसवारी में खुद भगवान शिव-भोलेनाथ और नवनाथ भी आते है। जो भी भक्त सच्चे मन और श्रद्धा से जाता है उसे कही ना  कही रूप में भगवान दर्शन देते है।
 
ये शाहीसवारी भवनाथ मंदिर में मुर्गी कुंड में शाहीस्नान करने जाती है। जो सच्चा महात्मा होगा वो इस मुर्गी कुंड में डुबकी लगाके अंतरध्यान हो जायेंगे कुंड मेसे बहार नहीं आएंगे। ऐसे हजारो संत,महात्मा शाहीस्नान में अंतर्ध्यान हो जातेहै । परिवर्तन संसार का नियम है लेकिन गिरनार में आदि अनादि काल से यही परंपरा से शाहिसवारी और शाहीस्नान होता है और होता रहेगा । जय गिरनारी    
 

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